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लेखनी कहानी -08-Jul-2022 यक्ष प्रश्न 1

साधना 


इंद्र का दरबार सजा हुआ था । सभी देवता सभा में बैठे हुए थे । मेनका , उर्वशी अपने सौंदर्य मिश्रित कला की प्रस्तुति दे रही थीं । अप्सराएं देवताओं को अद्भुत "पेय" पिला रहीं थीं । हास परिहास से सभा भवन चहक रहा था । चारों ओर आनंद का वातावरण था । 


इतने में एक दूत आता है और कहता है " स्वर्गाधिपति की जय हो " 


"क्या समाचार लाए हो , गण " ? इंद की गंभीर वाणी गूंज उठी


" महाराज , हिमालय की तलहटी में , प्रकृति के शांत वातावरण में , भागीरथी के किनारे , खुले आसमान के नीचे , धरती मां की गोद में एक वृद्ध साधु "साधना" में लीन है । उन साधु महाराज को बहुत समय हो गया है तपस्या करते करते , महाराज । अब यदि वे और साधना करेंगे तो स्वर्ग का सिंहासन डोलने लगेगा , प्रभु । इसलिए अभी से ही उनकी साधना समाप्त करवानी चाहिए, प्रभु " देवदूत ने संदेश में सलाह उसी प्रकार मिला दी जैसे दूध में चीनी मिलाकर पिला दी जाती है ।


इस समाचार को सुनकर इंद्र के माथे पर चिंता की गंभीर लकीरें खिंच गई । गुस्से से उसका चेहरा लाल हो गया ।  नथुनों से ज्वाला निकलने लगी । अतिशय क्रोध में आकर वे जोर से दहाड़े " इतनी हिम्मत ? मेरा सिंहासन छीनना चाहता है, दुष्ट ? मैं ऐसा कदापि नहीं होने दूंगा । सुन ले, मैं ऐसा कदापि नहीं होने दूंगा " । और इंद्र ने जोर से ताली बजाई । 


ताली की आवाज सुनकर एक सेविका उपस्थित हुई और वह हाथ जोड़कर खड़ी हो गई । 


इंद्र ने कहा " गुरु ब्रहस्पति जी को तुरंत ससम्मान बुलाओ " 


सेविका चली गई और थोड़ी देर में गुरु ब्रहस्पति जी को ससम्मान लिवा लाई । 


इंद्र ने उनका यथोचित सम्मान किया और उन्हें उनके आसन पर विराजमान किया । 


" क्या समस्या है महाराज ? आज अचानक कैसे याद किया ? क्या राक्षसों ने आक्रमण कर दिया है " ? गुरु ब्रहस्पति ने एक साथ कई सारे प्रश्न दाग दिए ।


" नहीं गुरुदेव । राक्षसों में अब इतनी शक्ति बची ही कहां है जो स्वर्ग पर आक्रमण करने की सोचें ? देवदूत ने अभी अभी सूचना दी है कि हिमालय की कंदराओं में बैठकर एक साधु तपस्या कर रहा है । उसके मन में न जाने क्या है जिसके लिए वह हिमालय में इतनी कठोर साधना कर रहा है " । 


इंद्र की बात सुनकर गुरू ब्रहस्पति ने चैन की सांस ली । कोई बड़ा खतरा नहीं था इसलिएआराम से कहा

" बस, इतनी सी बात है देवराज ? पर इसमें चिंता की क्या बात है " ? 


" गुरुदेव , कल को उसकी साधना से अगर मेरा सिंहासन डोलने लगेगा तो फिर क्या होगा" ? इंद्र ने अपनी चिंता गुरूदेव के सम्मुख व्यक्त की ।


" हूं , ये बात तो है । ठीक है , सोचते हैं " 


" ऐसा करते हैं गुरुदेव , मेनका को भेज देते हैं उसकी साधना भंग करने के लिए । उसने तो ऋषि विश्वामित्र की साधना भी भंग कर दी थी तो यह साधु क्या चीज़ है उसके लिए " ? उतावला होकर इंद्र बोल पड़ा ।


"अरे नहीं नहीं , मेनका को भेजना ठीक नहीं है। मेनका तो ट्रम्प का इक्का है अपने पास । उस ट्रम्प के इक्के से "गुलाम" को काटना ठीक नहीं । इसके लिए तो " दुक्की तिक्की" ही बहुत है । मेनका तो कोई बहुत बड़े योगी की साधना भंग करने के लिए बनी है । इन साधु महाराज के लिए तो कोई छोटी मोटी अप्सरा ही भेज दो , वही निपटा देगी " 


"जो आज्ञा गुरुजी" । इंद्र ने एक "नवोदित अप्सरा" को बुलवाया और उसे "ऑपरेशन साधना भंग" के लिए भेज दी । जिस प्रकार बॉलीवुड में नवोदित अभिनेत्रियां "काम" में ली जाती हैं उसी प्रकार नवोदित अप्सराएं भी काम में ली जाती हैं ।। 


सभा विसर्जित हो गई । 


अंत में मेनका रुक गई। इंद्र ने कहा " कुछ कहना है क्या" ? 


" जी महाराज" मेनका ने सकुचाते हुए कहा ।


"कहो क्या कहना है" ?


"एक शंका है महाराज" 


"निस्संकोच कहो " 


"महाराज , हिमालय के शांत वातावरण में तो कोई भी साधना कर सकता है । मन को एकाग्र कर सकता है । योग , ध्यान , व्यायाम , प्राणायाम सभी कुछ कर सकता है । वहां पर विघ्न डालने वाला भी कोई नहीं है । ऐसी दशा में साधना करना कोई बड़ी बात नहीं है । वह अपने लक्ष्य की पूर्ति कर सकता है "। 


" तुम कहना क्या चाहती हो ? खुलकर कहो " 


" महाराज , ग्रहस्थ जीवन जीना कितना कठिन है यह शायद आप नहीं जानते हैं । रोज रोज बढ़ते पेट्रोल , गैस के दाम, आसमां छूती मंहगाई , कोरोना का नया स्ट्रेन , सुरसा के मुंह की तरह बढती बेरोजगारी , रुपए की गिरती हुई वैल्यू , हर बात पर बॉस की डांट डपट , ऑफिस जाने के लिए लोकल ट्रेन या बस का सफर किसी युद्ध जीतने से कम नहीं होता है । अपने ही रिश्तेदारों , दोस्तों , पड़ोसियों के घात प्रतिघात नित नये आघात पहुंचाते रहते हैं । कदम कदम पर छल ,कपट, फरेब , धोखा , विश्वासघात मिलता है इस दुनिया में जिससे पार पाना देवताओं के भी बस में नहीं है । 


रोज रोज बीवी की नई नई फरमाइशें , रोज रोज के ताने सुन सुन कर आदमी पके आम की तरह पक जाता है और एक दिन इस दुनिया से ही "टपक" जाता है । 


ऑफिस में काम करने वाली सहकर्मियों , पड़ोसिनों के कंटीले नयनों , कातिल मुस्कान से खुद को बचाना भी कम तपस्या नहीं है देवराज । सबसे बड़ा ऋषि वही है जिसके साथ कोई दुष्कर्म का केस नहीं जुड़ा हो और " मी ठू" से भी वह बचा हुआ हो । 


बच्चों के स्कूल वाले नित नये प्रपंच गढ़कर फीस , यूनीफॉर्म,  आदि के कारण पेरेंट्स का खून चूसते रहते हैं और उल्टी सीधी पट्टी पढ़ाते रहते हैं । अस्पताल वालों को कमीशन खाने और मानव अंगों की तस्करी करने से फुर्सत मिले तो मरीज पर ध्यान दें । पुलिस का हाल यह है कि वह चोर उचक्कों, अपराधियों से मिलकर खुद लुटवाती है और फिर माल बरामदगी के समय मालिक को लूटती है । गुंडे चौराहों पर बहन बेटियों की इज्जत के साथ सरेआम खिलवाड़ करते रहते हैं । व्यापारियों से चौथ वसूली करते रहते हैं । पूरे सिस्टम पर "दलालों और माफियाओं" का कब्जा है । ऐसे में अगर कोई आदमी अपनी गृहस्थी रूपी गाड़ी को खींच रहा है तो यह उसकी सबसे बड़ी "साधना" है । और आश्चर्य की बात यह है कि वह ऐसा किस शक्ति के बल पर कर रहा है , यह आज तक पता नहीं चल पाया है ? जबकि आज कुछ भी शुद्ध नहीं है । सब कुछ मिलावटी है । फिर भी वह इतनी मेहनत कैसे कर लेता है ?  इतने तनाव में भी मुस्कुरा लेता है ? इसलिए यह आम आदमी सबसे बड़ा योगी और साधक है । इसलिए महाराज अगर डरना है तो उससे डरिए । जो वनवासी है उससे क्या डरना । असली साधना तो एक गृहस्थ ही कर रहा है बाकी तो पाखंड कर रहे हैं । " ? 


मेनका की बात सुनकर इंद्रदेव गश खाकर गिर पड़े । 




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6 Comments

दशला माथुर

20-Sep-2022 12:53 PM

Bahut khub

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shweta soni

20-Sep-2022 12:27 AM

Nice 👍

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Chudhary

11-Jul-2022 11:52 AM

Nice

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